Lehaza
Bhate, Rohini कलाओं में भारतीय आधुनिकता के एक मूर्धन्य सैयद हैदर रजा एक अथक और अनोखे चित्रकार तो थे ही उनकी अन्य कलाओं में भी गहरी दिलचस्पी थी विशेषतः कविता और विचार में वे हिंदी को अपनी मातृभाषा मानते थे और हालाँकि उनका फ्रेंच और अंग्रेजी का ज्ञान और उन पर अधिकार गहरा था, वे, फ़्रांस में साठ वर्ष बिताने के बाद भी, हिंदी में रमे रहे यह आकस्मिक नहीं है कि अपने कला-जीवन के उत्तरार्द्ध में उनके सभी चित्रों के शीर्षक हिंदी में होते थे वे संसार के श्रेष्ठ चित्रकारों में, २०-२१वीं स...